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RAJASTHAN GK MCQ NOTES
राजस्थान के दर्शनीय स्थान Rajasthan History Ki Information Facts Essay
राजस्थान पर्यटन के लिहाज से समृद्ध राज्य है जाने क्या दिख जाए राजस्थान पर्यटन का लोगो है. रोजाना हजारों देशी और विदेशी पर्यटक यहाँ आते हैं. राजस्थान के कुछ प्रसिद्ध स्थल व पर्यटन स्थान निम्न हैं.
- अजमेर- मध्यकाल से लेकर आज तक अजमेर में ही सर्वाधिक देशी और विदेशी पर्यटक है यहाँ ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह है इसके अतिरिक्त यहाँ पर विश्व का एकमात्र ब्रह्मा मंदिर भी लोगों का आस्था का केंद्र बना हुआ. इस लिहाज से अजमेर राजस्थान की धार्मिक राजधानी हैं.
- उदयपुर– मध्यकाल में यह क्षेत्र मेवाड़ का हिस्सा रहा हैं, चित्तौड़गढ़ और उदयपुर पर मेवाड़ के गुहिल वंश का लम्बे समय तक शासन रहा हैं. यहाँ जग मंदिर,सिटी पैलेस,बागोर की हवेली,बायोलॉजिकल पार्क,मानसून फोर्ट,वैक्स म्युसियम,कर्णि देवी का मंदिर,फतेह सागर आदि पर्यटक स्थल हैं. राणा प्रताप जैसे वीर यौद्धा की भूमि को देखने की उत्कंठा हर सैलानी को रहती हैं.
- जयपुर- यह राजस्थान का राजधानी शहर हैं. यह अपनी नगर योजना तथा ऊँचे भवनों के लिए भी प्रसिद्ध हैं, जयपुर की गणना देश के बड़े महानगरों में की जाती हैं. यहाँ आमेर का किला,हवा महल,सिटी पैलेस,सिसौदिया रानी का बाग़,अलबर्ट हाल म्युसियम,कनक वृंदावन,संगमरमर की मूर्तियाँ विशेष रूप से प्रसिद्ध हैं.
- जोधपुर- यह राजस्थान का दूसरा सबसे बड़ा शहर भी हैं. यहाँ की पहाड़ी पर स्थित मेहरानगढ़ दुर्ग एक दर्शनीय स्थल हैं. राजस्थान उच्च न्यायालय भी जोधपुर में ही स्थित हैं. यहाँ का धातु तथा वस्त्र उद्योग प्रसिद्ध हैं. राज्य के इतिहास Rajasthan History से जुड़े कई किले और दुर्ग पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र होते हैं. जैसलमेर का सोनार किला, चित्तौड़ दुर्ग, विजय स्तम्भ, कुम्भलगढ़, रणथम्भौर, जैसलमेर तथा झुंझुनू की हवेलियाँ भी प्रसिद्ध हैं.
Medieval Rajasthan History & Culture
कहा जाता है कि राजस्थान के प्राचीन शासक मीणा थे इसके बाद यहाँ पर गुजरात के गुर्जरों ने सत्ता स्थापित की तथा तेहरवी सदी में राजपूत राज्यों का जन्म हुआ.
अजमेर के चौहान शासक पृथ्वीराज चौहान दिल्ली की राजगद्दी पर बैठने वाले अंतिम हिन्दू सम्राट माने जाते हैं.
राजस्थान में मुख्य रूप से मेवाड राज्य सर्वाधिक समय तक स्वतंत्र रहा. यहाँ के वीर शासकों का लम्बा इतिहास रहा है. राणा मोकल, कुम्भा, सांगा, राणा प्रताप जैसे प्रतापी शासकों में दिल्ली सल्तनत और मुगलों के दांत खट्टे किये.
मध्यकाल में अधिकतर राजपूत राजाओं ने मुगलों की अधीनता स्वीकार कर ली थी. मगर महाराणा प्रताप अकबर से लोहा लेते रहे.
मुगलों के बाद कुछ समय तक कुछ क्षेत्रों पर मराठे शासन करने पर, कही पर जाट राज्य तथा कहीं पर सत्ता राजपूत राजाओं के हाथ में रही. 18 वी सदी के उतरार्ध तक अंग्रेजों ने लगभग सम्पूर्ण राजस्थान पर कब्जा कर लिया.
हालांकि प्रत्यक्ष तौर पर शासन तो राजाओं का ही रहा मगर वे अंग्रेजों के प्रतिनिधि के रूप में उनकी नीतियों की पालना कर रहे थे.
राजस्थान का इतिहास एवं संस्कृति History & Culture Of Rajasthan In Hindi
राजस्थान भारत का एक विशिष्ट प्रान्त है. ऐतिहासिक द्रष्टि से यह प्रान्त वीर भूमि माना गया है. प्राकृतिक द्रष्टि से विश्व के दुसरे नंबर का मरुस्थल थार का मरुस्थल इसी राज्य के पश्चिम में स्थित है.
यह अरावली पर्वत श्रंखलाओं से घिरा एवं विषम परिस्थतियों वाला सूखा प्रदेश है. गुजरात, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, हरियाणा आदि की सीमाएं इस प्रान्त से लगी हुई है. यहाँ की आबादी सात करोड़ के आस-पास है.
सम् और कृति के योग से बना संस्कृति शब्द बना है. यह संस्कार का पर्यायवाची है. संस्कृति का अर्थ, अच्छे संस्कारों की परम्परा स्थापित करना और आचरण शुद्ध करना.
अतः सामाजिक जीवन को हर तरफ से शुद्ध करने वाली संस्कृति कहलाती है. साफ़ शब्दों में जिन तत्वों से आत्मा का परिष्कार हो, व्यक्ति के आचरण में शुद्धता रहे, उन तत्वों को संस्कृति कहते है.
जैसे साहित्य, कला, दर्शन, संगीत, धर्म आदि. सामजिक परम्पराएं त्यौहार उत्सव विशवास आदि भी संस्कृति में शामिल है. संस्कृति को सभ्यता से भिन्न माना जाता है. क्योकि सभ्यता का सम्बन्ध शरीर से होता है तथा संस्कृति का सम्बन्ध आत्मा से होता है.
राजस्थानी संस्कृति की विशेषताएं (Features of Rajasthani culture)
- राजस्थान प्रदेश अपनी सांस्कृतिक परम्पराओं की द्रष्टि से अपना विशेष महत्व रखता है. यहाँ पर प्राचीनकाल से अनेक परम्पराएं, पर्वोत्सव एवं सांस्कृतिक रीती रिवाज प्रचलित रहे है. इस प्रदेश की सांस्कृतिक विशेषताएं निम्नलिखित है.
-वीरता- यह वीरभूमि रही है. - कुम्भा,प्रताप, दुर्गादास राठौड़, जैसे वीर यही हुए थे. पद्मिनी जैसी रानियों ने यही जौहर किया था. यहाँ की वीरता का परिचय कराने वाला एक दौहा देखिये-
”इला न देणी आपणी, हालरियों हुलराय
पूत सिखावै पालने, मरण बढाई मांय”
- मर्यादा का पालन– यहाँ के लोगों ने प्राण देकर भी मर्यादा का पालन किया है. राजपूतों में क्षत्रिय धर्म का पालन प्राणों से भी बढ़कर माना जाता था. सलुम्बर की हाड़ी रानी ने इसलिए अपना सिर काटकर अपने प्रियतम को दे दिया, ताकि उसका वीर पति अपनी मर्यादा से विचलित न हो पाएं
- मेहमानों का आदर– मेहमानों का पूरी आत्मीयता से आदर सत्कार किया जाता है. और उन्हें न केवल पूज्य माना जाता है, अपितु उनकी खातिर प्राणों को न्योछावर करने में भी संकोच नही किया जाता है. रतनसिंह ने मेहमान के रूप में अलाउद्दीन खिलजी का जो सत्कार किया था वह स्मरणीय है.
- त्योहार- राजस्थान में अनेक त्यौहार मनाएं जाते है. गणगौर, तीज आदि तो यहाँ के विशेष त्यौहार है. ये प्रेम और उल्लास से लबालब भरे हुए है. इसी प्रकार यहाँ पर विभिन्न स्थानों पर अनेक पर्वोत्सव मनाएं जाते है. मेले लगते है तथा उसमे जनता अपनी आस्था प्रसन्नता से व्यक्त करती है.
- विविध संस्कार– जन्म, नामकरण, अन्नप्राशन, कर्णवेध, विवाह तथा अत्येष्टि आदि अनेक संस्कार यहाँ बड़ी धूम धाम से किये जाते है.
- राजस्थानी लोकगीत भी अविस्मर्णीय है. इनमे प्रेम की निर्मलता के साथ जितने मार्मिक उदहारण मिलते है, वे अन्यत्र दुर्लभ है. राजस्थान में साहित्य और कला का विपुल भंडार है. यहाँ के हस्तलिखित ग्रथों के भंडार बहुत प्रसिद्ध है.
राजस्थानी संस्कृति पर आधुनिक प्रभाव (Modern influences on Rajasthani culture)
राजस्थानी संस्कृति की कई विशेषताएं आधुनिक प्रभाववश लुप्त होती जा रही है. यहाँ के गावों में अब भी पुरातन गौरव की झलक देखी जा सकती है.
फिर भी पाश्चात्यानुकरण ने इस क्षेत्र को भी प्रभावित किया है. इसी कारण पुरातन सांस्कृतिक मूल्यों का हास होता जा रहा है.
राजस्थान की संस्कृति आज भी जीवंत है. शहरों में भले ही आधुनिकता आ गई हो, फिर भी पर्व, त्यौहार एवं उत्सव परम्परा अनुसार मनाएं जाते है. ग्राम्य जीवन में वही सरलता सरसता विद्यमान है. इस द्रष्टि से राजस्थान का अत्यधिक महत्व है.
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ReplyDeletethanks
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